दिल्ली में आई बाढ़ (flood) के कारण
कुछ दिनों में पूरे उत्तर भारत के हिमांचल और पहाड़ी इलाकों में तेज बारिश देखने को मिली। जिनमें से कई पानी स्रोतर और छोटी नदियाँ आकर यमुना नदी में मिलती हैं, यमुना नदी कई शहरों से होती हुई दिल्ली पहुंचती है। जब भी इन क्षेत्रों में तेज बारिश होती है। तो दिल्ली दिल्ली में आई बाढ़ के कारण:में बाढ़ (flood) का खतरा मंडराने लगता है। 11 जुलाई को बारिश ने सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ते हुए नया 153 mm तक जाने का रिकॉर्ड बनाया ! इससे पहले इतनी बारिश साल 1982 में रिकॉर्ड की गई थी, उस समय भी दिल्ली के कुछ ऐसे ही हालात हो गए थे!
आज के ताजा हालत के अनुसार लगातार यमुना में पानी बढ़ता जा रहा है। हरियाणा स्थित यमुना नगर के हाथिनी कुंड बांध से अब लगातार पानी छोड़ने के बाद से दिल्ली खतरे के निशान 204.00 से ऊपर 207.11 पर बह रही है। इसी वजह से दिल्ली को बाढ़ (flood) का सामना करना पड़ रहा है।
क्यों छोड़ा गया हथिनी कुंड बैराज से पानी: और आई बाढ़(flood)
हाथिनी कुंड बांध एक पानी के बहने की गति को कंट्रोल करने वाली तकनीक है। पानी को रोकने के लिए डैम का प्रयोग किया जाता है जिसमें पानी को रोका जा सके। इसीलिए इस बांध में पानी को रोकना खुद बांध के लिए नुकसानदायक हो सकता है और हरियाणा के कई शहरों के लिए भी खतरनाक हो सकता है। हरियाणा के यमुनानगर में बने इस हाथिनीकुंड बांध से पानी उसी वेग से छोड़ा जाता है जिस वेग से यहां पानी आता है। इस बांध में 18 द्वार हैं। पानी की धीमी गति के चलते समय ज्यादातर 2, 3 द्वारों से पानी छोड़ा जाता है! जो दिल्ली तक बहुत धीमी गति से जाकर आगे निकल जाता है। लेकिन मौजूदा हालत में इसके सभी 18 द्वारों के खुलने के बाद भी पानी 3 लाख क्यूसेक से भी तेज छोड़ा जा रहा है, जो दिल्ली में आई बाढ़ (flood) का मुख्य कारण बन रहा है।
बाढ़ या flood से होने वाली बीमारी और नुकसान
बाढ़ (flood)से नदी के आसपास के निचले इलाकों में पानी भर जाता है, जिसकी वजह से लोगों के घरों और दीवारों को नुकसान होता है। उनको मजबूरन पलायन भी करना पड़ता है।- पालतू पशु, कुत्ते, बकरी, गायें, भैंस और नदी के पास रहने वाले कई जानवर जैसे नीलगाय, हिरण आदि की जान खतरे में आ जाती है।
* नदी में बह कर कई बार मगरमच्छ, सांपों और अन्य जानलेवा जानवरों की घटनाओं को सुना जा चुका है, जिससे सामान्य मनुष्य की जान को भी खतरा हो सकता है।
बाढ़ (flood) अपने साथ अक्सर बेरोजगारी, महंगाई और जानलेवा बीमारियाँ लाती है। बाढ़ग्रस्त इलाकों में स्थित फैक्ट्री, कंपनी, ऑफिस आदि बंद हो जाते हैं और लोगों के रोजगार में समस्या आती है। पानी से कई बीमारियाँ जन्म लेती हैं, (flood) बाढ़वाले इलाकों में कलरा, टाइफाइड, और दस्त जैसी बीमारियाँ बढ़ जाती हैं क्योंकि बाढ़ उतरने के बाद जल स्रोत प्रदूषित हो जाते हैं, जिनसे बहुत मच्छर बढ़ जाते हैं। मच्छरों से मलेरिया, टाइफाइड, डेंगू, बुखार आदि बढ़ जाते हैं
बाढ़ (flood) में प्रशासन की गलतियां पहले और अब
बाढ़ (flood) जैसी स्थिति में कोई भी राज्य सरकार या केंद्र सरकार भारत में आने वाली हर बाढ़ (flood)को रोकने में विफल ही रही है। बाढ़ (flood) आने से पहले और आने के बाद केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करते देखा गया है। हालांकि, बाढ़ (flood)आने से पहले ही मौसम विभाग ने एडवाइजरी जारी की थी और दिल्ली सरकार ने भी अलर्ट जारी किया था। अभी इन हालतों में दिल्ली में धारा 144 भी लागू है।
बाढ़ (flood) से प्रभावित और संभावित इलाके
राजघाट
सराय काले खान
विकास मार्ग
लोहा पुल
सिविल लाइंस
शास्त्री पार्क
आउटर रिंग रोड
निगम बोध घाट
सुप्रीम कोर्ट
दिल्ली सचिवालय
आईटीओ
जैतपुर
गीता कॉलोनी
वजीराबाद
त्रॉनिका सिटी
गाज़ियाबाद
खानपुर जब्ती
चौहान पट्टी
सभापुर
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